New auditorium: एक साथ स्वीकृत हुए ऑडिटोरियम, निवाड़ी में बनकर तैयार, टीकमगढ़ में अभी सिर्फ जमीन चयनित हो पाई
टीकमगढ़-निवाड़ी में एक साथ स्वीकृत हुए ऑडिटोरियम की सौगात टीकमगढ़ के लोगों को नहीं मिल पाई है। जबकि निवाड़ी में बनकर तैयार हो गया और कार्यक्रम होने लगे हैं। टीकमगढ़ नगर पालिका के अधिकारी-कर्मचारी बीते तीन सालों में मात्र जमीन ही चयनित कर पाए। बल्कि शासन ने टीकमगढ़ में ऑडिटोरियम निर्माण के लिए 8 करोड़ की राशि पहले ही जारी कर दी थी। इसके बावजूद लापरवाही के चलते अब तक निर्माण तक शुरू नहीं करा सके।
दरअसल कलेक्ट्रेट के सामने स्थित नगर पालिका के पीछे खाली पड़ी जमीन पर ऑडिटोरियम बनाने की स्वीकृत दी गई थी। जहां 600 सीटर वाला ऑडिटोरियम बनाया जाना है, लेकिन लंबे समय तक उसी हालत में जमीन पड़ी रही।
इसके बाद ऑडिटोरियम का डीपीआर व ड्राइंग को तैयार कराया तो ड्राइंग में ऑडिटोरियम की सीलिंग सेड
को लेकर समस्या बनी। जिस पर भोपाल के नगरीय विकास एवं आवास निर्माण की स्वीकृति के लिए अटक गई। इसके बाद अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया और प्रस्तावित ऑडिटोरियम का डीपीआर लंबित हो गया। इसके बाद अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। इतना ही नहीं हाल ही में परिषद की हुई बैठक में ऑडिटोरियम का मुद्य उठा तो भोपाल स्तर पर लंबित होना बता दिया। जबकि लंबे समय से शहर में ऑडिटोरियम की मांग की जा रही है।
नगर पालिका पूर्व में ऑडिटोरियमको केंद्र की योजना गीता भवन से जोड़ रही।
दरअसल केंद्र की योजना के तहत शहर में एक गीता भवन भवन बनाने के लिए प्रस्तावित किया जाना था। जिस पर नगर पालिका पूर्व में ऑडिटोरियम और गीता भवन एक साथ बनाने पर विचार करने लगी थी, लेकिन गीता भवन बनाने को लेकर किसी प्रकार की नगर पालिका में शासन स्तर से स्थिति स्पष्ट नहीं की गई। ऐसे में गीता भवन बनने का प्रस्ताव पहले से ही लंबित है और ऑडिटोरियम भी अधिकारियों ने समय पर नहीं बनवाया। जिसके कारण शहर के लोगों को सौगात नहीं मिल सकी
निवाड़ी नगर के ऑडिटोरियम में कार्यक्रम भी होने लगे
निवाड़ी में 4 करोड़ की राशि ऑडिटोरियम बनाया गया। जो करीब 500 सीटर है। जिसका नाम स्वामी विवेकानंद ऑडिटोरियम रखा गया। हाल ही अप्रैल माह में लोकार्पण कार्यक्रम हुआ था। इसके बाद से नगर के कार्यक्रम-आयोजन इसी ऑडिटोरियम में होने लगे। आयोजनों के लिए नगर में एक व्यवस्थित स्थान मिलने से लोग कार्यक्रम में भी पहुंचते हैं। ऑडिटोरियम में कार्यक्रम होने से गरिमा बढ़ जाती है। अब अलग से किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है। एक ही स्थान पर सब कुछ उपलब्ध रहता है।