शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आज भी जोखिम उठाने को मजबूर ग्रामीण
Guna News: गुना जिले की चाचौड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाली मुरैला पंचायत के हालात आज भी 19वीं सदी जैसे हैं। इस पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव रीरा का पुरा की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है। यह गांव घोड़ा पछाड़ नदी से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर बसा है, लेकिन नदी पर पुल न होने की वजह से लोग आज भी पैदल ही नदी पार कर दूसरे गांवों तक जाने को मजबूर हैं।
गांव के लोग बताते हैं कि उनके दादा-परदादा भी इसी तरह नदी पार करके जरूरत का सामान लाते थे और आज भी वही हालात हैं। मुरैला पंचायत के करीब 24 मजरे हैं, जिनकी कुल आबादी लगभग 6 हजार है। रीरा का पुरा भी इन्हीं में से एक है। गांव में शिक्षा की स्थिति बेहद खराब है। पांचवीं तक स्कूल है, लेकिन उसके बाद पढ़ाई के लिए बच्चों को रोज नदी पार करके अमरगढ़ किला गांव जाना पड़ता है।
बच्चों की पढ़ाई बनी जोखिमभरी यात्रा
रीरा का पुरा गांव के लगभग 20 से 25 बच्चे हर दिन नदी पार करके स्कूल जाते हैं। बरसात के दिनों में जब नदी उफान पर होती है, तब यह यात्रा और भी खतरनाक हो जाती है। कई बार बच्चे गिरते-गिरते बचते हैं। अभिभावकों का कहना है कि हर दिन बच्चों को स्कूल भेजना उनके लिए चिंता और डर से भरा होता है, लेकिन विकल्प न होने की वजह से मजबूरी में यही रास्ता अपनाना पड़ता है।
स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
गांव में कोई अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र या दवा की दुकान तक नहीं है। साधारण सिरदर्द की गोली से लेकर गंभीर बीमारी तक का इलाज कराने के लिए ग्रामीणों को नदी पार करनी पड़ती है। बीमार व्यक्ति को अक्सर चारपाई पर लादकर नदी पार ले जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में स्थिति और भयावह हो जाती है, क्योंकि कई दिनों तक संपर्क पूरी तरह टूट जाता है।
धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भी दिक्कत
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि हर चौदस और छठ पर गोमुख धार्मिक स्थल जाना होता है, लेकिन वह भी नदी के पार है। पुल न होने से वहां तक पहुंचना बेहद मुश्किल होता है।
नेताओं तक पहुँची गुहार, पर समाधान नहीं
स्थानीय लोगों ने कई बार संबंधित नेताओं और जनप्रतिनिधियों तक यह समस्या उठाई है। विधायक, सांसद और आसपास के क्षेत्रों के नेताओं को आवेदन और ज्ञापन भी दिए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि नेता चुनाव के समय वादे तो करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद समस्या पर ध्यान नहीं देते।
रोजमर्रा की जिंदगी बनी चुनौती
गांव के लोग किराने का सामान, अनाज, सब्जी, बच्चों की पढ़ाई की सामग्री और दवाइयों तक के लिए नदी पार करने को मजबूर हैं। अमरगढ़ किला बाजार ही उनकी जरूरतों का एकमात्र सहारा है। वहीं बड़ी सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को चाचौड़ा, ब्यावरा या राजगढ़ जाना पड़ता है, जो 20 से 25 किलोमीटर दूर हैं।
ग्रामीणों की मांग
गांव के लोगों की सबसे बड़ी मांग है कि घोड़ा पछाड़ नदी पर जल्द से जल्द पुल बनाया जाए। उनका कहना है कि पुल बनने से न केवल बच्चों की पढ़ाई सुरक्षित होगी बल्कि स्वास्थ्य और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी सुविधा हो जाएगी।