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Fixed Deposit: FD पर नहीं देना पड़ेगा टैक्स, अपनाएं यह तरीका, जाने क्या होता है 15 G और 15 H ?

इनकम टैक्स रूल्स के अनुसार सालाना 40 हजार से अधिक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज के रूप में कमाई होती है तो आपका टीडीएस काटा जाता है. इसके अलावा 60 साल से अधिक की आयु के सीनियर सिटीजन के 50 हजार  से अधिक रुपए ब्याज के रूप मिलने पर टीडीएस (TDS) काटा जाता है.
 
FD TEX UPDATE
जाने FD पर टीडीएस कितना कटता है ?

Fixed deposit Tex: देश में करोड़ों निवेशकों के लिए फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) निवेश करने का बहुत ही अच्छा विकल्प माना जाता है। एफडी में निवेशकों द्वारा निवेश किया गया पैसा सुरक्षित होता है और पैसा डूबने की किसी प्रकार की कोई गुंजाइश नहीं होती। 5 लाख तक के निवेश पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गारंटी भी होती है। यदि बैंक को वित्तीय स्थिति कमजोर हो जाए तो 5 लाख तक की जमा पूंजी की गारंटी का काम आरबीआई (RBI) का होता है। इसके अलावा फिक्स्ड डिपोजिट (FD) पर ब्याज के रूप में अच्छा रिटर्न मिलता है। इस समय सभी बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर 8.5 फीसदी तक ब्याज दे रहे हैं। ऐसे में आपको यह जानना बहुत अनिवार्य है कि फिक्स डिपॉजिट (FD) पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स से कैसे बचा जा सकता है? 

एफडी में आम नागरिक को 40 हजार और सीनियर सिटीजन को 50 हजार के ब्याज पर लगाया जाता है टैक्स

फिक्स्ड डिपोजिट में आम नागरिकों को  40 हजार रुपए ब्याज के रूप में मिलने पर और 60 साल की उम्र से ज्यादा वाले व्यक्ति को 50 हजार से ज्यादा ब्याज मिलने पर टीडीएस के रूप में ब्याज देना पड़ता है। यदि आप इससे से बचना चाहते है तो आपको भी  फॉर्म 15 G और फॉर्म 15 H के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जिसको आप बैंक में जमा करवाकर ब्याज पर लगने वाले टीडीएस से बच सकते है।

FD पर टीडीएस कितना कटता है ?

इनकम टैक्स रूल्स के अनुसार सालाना 40 हजार से अधिक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज के रूप में कमाई होती है तो आपका टीडीएस काटा जाता है. इसके अलावा 60 साल से अधिक की आयु के सीनियर सिटीजन के 50 हजार  से अधिक रुपए ब्याज के रूप मिलने पर टीडीएस (TDS) काटा जाता है. किसी व्यक्ति की इनकम फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज को मिलाकर टैक्स स्लैब के दायरे से कम है तो फॉर्म 15 G और फॉर्म 15 H भरकर फिक्स्ड डिपॉजिट पर लगने वाले टीडीएस (TDS) से बच सकते हैं।

जब भी आप किसी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में निवेश करते है, तो आपको बैंक में फॉर्म 15G और फॉर्म 15 H भरकर देना चाहिए. यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते समय फॉर्म 15 G और फॉर्म 15 H जमा नहीं करवाते है तो आपका फिक्स्ड डिपोजिट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस काटा जाएगा।  यदि आपका टीडीएस बैंक द्वारा लिया गया है तो आप इनकम टैक्स फाइल भरते समय फॉर्म 15G और 15 H जमा करवाकर टीडीएस रिटर्न लिया जा सकता है।

फॉर्म 15 जी क्या है ?

फॉर्म 15 G भरकर आप फिक्स्ड डिपॉजिट पर लगने वाले टीडीएस (TEX) से बच सकते हैं । आपको फॉर्म 15G भरकर बैंक को डिक्लेरेशन देना होता है। फॉर्म 15 G सामान्य नागरिकों के लिए है, जिसमे फिक्स्ड डिपॉजिट पर 40 हजार से अधिक ब्याज मिलने पर टीडीएस से बचा जा सकता है। यह इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंडर सेक्शन 197A ओर सब सेक्शन 1 व 1(A) के अंतर्गत आता है। जिसमे बैंक को आपकी सलाना आय के बारे में जानकारी दी जाती है कि आपकी सलाना आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है या नहीं आती। यदि आपकी आय इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती तो बैंक आपके फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस नहीं लगाएगा।

फॉर्म 15 H क्या है ?

फॉर्म 15 H सीनियर सिटीजन के लिए होता है। इसमें 60 साल से अधिक आयु के व्यक्ति को वित्तीय वर्ष में फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले 50 हजार से अधिक ब्याज पर टीडीएस से बचा जा सकता है। इसके लिए निवेशक को बैंक के अंदर 15H फॉर्म जमा करवाना होगा। जिससे बैंक को पता चल सके कि आपकी सलाना आय इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती। फॉर्म 15 H सीनियर सिटीजन के लिए डिक्लेरेशन फॉर्म है, जिसको फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते समय बैंक में जमा करवाना पड़ता है।