Jind News: चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय द्वारा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत की याद में मनाया बाल वीर दिवस

Jind News: चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय द्वारा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत की याद में बाल वीर दिवस के अवसर पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर विश्व संवाद केंद्र हरियाणा के अध्यक्ष एवं गुुरुग्राम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मार्कंडेय आहूजा ने शिरकत की। विशेष अतिथि के तौर पर जत्थेदार गुरजिंद्र सिंह प्रधान, सुखमनी साहिब सेवा सोसायटी व बीबी परमिंदर कौर कार्यकारी सदस्य, हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी एवं अध्यक्षा आई टी विभाग व बाबा जगतार सिंह, गुरुद्वारा श्रीमंजी साहिब पातशाही नौंवी ने शिरकत की।
डॉ. मार्कंडेय आहूजा ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाल वीर दिवस हमें साहस, त्याग और निडरता की अद्वितीय मिसाल की याद दिलाता है। यह दिन साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों ने मात्र 9 वर्ष और 6 वर्ष की छोटी आयु में अपने धर्म, सच्चाई और न्याय की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। मुगल शासक वजीर खान ने उनसे इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा लेकिन इन नन्हें शेरों ने बहादुरी से इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया और वह मुगल शासकों के आगे झुके नहीं।
उन्होंने कहा कि साहिबजादों के पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पूरी दुनिया को ज्ञान दे रहे थे और उनके कारण उनके पुत्र में आत्मबल इतना ज्यादा था कि मुगल सम्राट के लाख कोशिश करने के बाद भी उनको झुका नहीं पाया और अंत में उन्हें जिंदा दीवार में चिनवा दिया गया। हमारी आज की पीढ़ी को भी आत्मबल और मानसिक बल के लिए नन्हें साहिबजादों के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए क्योंकि अगर हमारा आत्मबल और मानसिक बल अच्छा होगा तो शारीरिक बल अपने आप बढ़ जाता है। उन्होंने शिक्षकों से भी अनुरोध करते हुए कहा कि बच्चों को कौशल ज्ञान के साथ-साथ संकल्प शक्ति पर ध्यान केंद्रित करें।
विशिष्ट अतिथि जत्थेदार गुरजिंद्र सिंह ने अपने संबोधन में गुरु गोबिंद सिंह जी और साहिबजादों के जीवन से जुड़े किस्सों से अवगत करवाते हुए कहा कि जब गुरु गोबिंद सिंह जी युद्ध में जब तीर चलाते थे तो उनकी तीर के आगे सोना लगा होता था ताकि अगर कोई व्यक्ति उनके तीर से घायल हो जाए तब वह उस सोने को बेचकर अपना इलाज करवा सके और यदि मारा जाए तो उसके साथ उस सोने को बेच कर उसका अंतिम संस्कार कर सकें।
बाबा जगतार सिंह ने कहा कि इस दिवस के माध्यम से बच्चों को साहिबजादों के साहस, बलिदान और निडरता की प्रेरणा दी जाती है जिससे हमारी पीढ़ी अपने धर्म के लिए अडिग रहे। विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने कहा कि हमें सिखाया जाता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हो, हमें अपनी आस्थाओं और सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में यह घोषणा की कि हर साल 26 दिसंबर को बाल वीर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन का उद्देश्य बच्चों को न केवल साहिबजादों के बलिदान की गाथा सुनाना है, बल्कि उनमें सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना भी है। हमें चाहिए कि हम साहिबजादों के बलिदान से सीख लें और जीवन में आने वाली हर कठिनाई का डटकर सामना करें। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे।