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Haryana Roadways: हरियाणा रोडवेज विभाग के सुरक्षा के दावे निकले खोखले, ज्यादातर बसों में नहीं मिला फर्स्ट एड बॉक्स

जींद डिपो में कुल 169 बस हैं, जिसमें किलोमीटर स्कीम की 37 बस शामिल हैं। इसमें से ज्यादातर बसों में फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयां भी नहीं हैं और 40 से ज्यादा पुरानी बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं हैं या फिर इक्सपाइर हो चुके हैं।
 
डिपो की 169 बसों में रोजाना 15 से 16 हजार यात्री सफर करते हैं, जिससे डिपो को दस से 12 लाख रुपए का हर रोज  राजस्व प्राप्त होता है। इसके बाद भी रोडवेज बसों में यात्रियों की सुविधा के लिए के कोई उपकरण तक नहीं है।

Haryana Roadways: हरियाणा रोडवेज विभाग की ओर से बसों में सुरक्षा के तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर बसों में आग से बचने के भी साधन नहीं हैं। जींद डिपो में कुल 169 बस हैं, जिसमें किलोमीटर स्कीम की 37 बस शामिल हैं। इसमें से ज्यादातर बसों में फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयां भी नहीं हैं और 40 से ज्यादा पुरानी बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं हैं या फिर इक्सपाइर हो चुके हैं। अग्निश्मन यंत्रों पर तारीख अंकित नहीं है कि वे कब भरे गए थे और कब तक उनका इस्तेमाल किया जा सकता है।  वहीं पुरानी बसों में फॉग लाइट भी नहीं हैं। इसके बावजूद विभाग की ओर इसकी जांच तक नहीं की गई है। ऐसे में बस बिना सुरक्षा का इंतजाम किए ही सरपट दौड़ रही हैं। विभाग की ओर से बरती जा रही लापरवाही यात्रियों की जान जोखिम में भी डाल सकती है। डिपो की 169 बसों में रोजाना 15 से 16 हजार यात्री सफर करते हैं, जिससे डिपो को दस से 12 लाख रुपए का हर रोज  राजस्व प्राप्त होता है। इसके बाद भी रोडवेज बसों में यात्रियों की सुविधा के लिए के कोई उपकरण तक नहीं है। अधिकतर महिलाओं व पुरुषों की बसों में सफर करने के दौरान तबीयत खराब हो जाती है। जिसके लिए बस में प्राथमिक उपचार के लिए फर्स्ट एड बॉक्स का होना जरूरी है, ताकि समय पर इस तरह के यात्रियों को दवाइयां दी जा सके। बसों में सफर के दौरान फर्स्ट एड किट में डिटॉल, रूई, पट्टी समेत अन्य कई तरह की दवाइयां रखी जाती हैं। किट में आपात स्थिति में उपयोग आने वाली दवाइयां रखनी जरूरी हैं। सिर व पेट दर्द, उल्टी, जी मिचलाने के लिए फर्स्ट रिलीफ की दवाईयां, चोट लगने की स्थिति में प्राथमिक उपचार के लिए बैंडेड, डिटॉल, रुई, पट्टी, आयोडेक्स समेत अन्य दवाइयां रखनी होती हैं। किट रखने के लिए बस में चालक के पीछे वाले हिस्से में एक बॉक्स लगा हुआ रहता है तथा उस पर फर्स्ट एड बॉक्स लिखा होता है, ताकि जरूरत पड़ने पर यात्री परिचालक या ड्राइवर की मदद से इसमें रखी दवाइयां का उपयोग हो सके।

चार दिन पहले जींद डिपो की बस का हुआ था एक्सीडेंट

रविवार को चंडीगढ़ से जींद आ रही रोडवेज के जींद डिपो की बस को पेहोवा के पास पीछे से ट्रक ने टक्कर मार दी। इसमें चालक  अजीतपाल व परिचालक सुदीप सहित 15 यात्री घायल हो गए थे। इस दौरान भी बस में फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयां नहीं थी। घायलों को उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया गया था। जिसमें चालक व परिचालक व एक यात्री को ज्यादा चोट आई थी, जबकि अन्य यात्रियों को थोड़ी चोट लगी थी। राहुल जैन, रोडवेज महाप्रबंधक जींद डिपो ने बताया कि  लगवाई जा रही है फॉग लाइट डिपो की जिन पुरानी बसों में फाॅग लाइट नहीं हैं, उनमें लाइट लगवाई जा रही हैं। वहीं बसों में फर्स्ट एड बॉक्स में दवाइयां रखने को लेकर रेड क्राॅस से बातचीत की जाएगी। इसके अलावा जिन बसों में अग्निशमन यंत्र नहीं हैं, वे भी रखवाए जाएंगे।

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