नरवर की मिट्टी प्रयोगशाला बनी दिखावे की योजना, किसानों को नहीं मिल रहा लाभ
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नरवर की मिट्टी प्रयोगशाला बनी दिखावे की योजना, किसानों को नहीं मिल रहा लाभ

 
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Shivpuri News: नरवर नगर में किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादन सुधारने के लिए बनाई गई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वास्तविक काम में नहीं आ रही है। आधुनिक उपकरणों और तकनीकी स्टाफ की अनुपस्थिति के कारण यह प्रयोगशाला केवल दिखावे का साधन बनकर रह गई है।

प्रदेश सरकार की योजना के अनुसार हर ब्लॉक में आधुनिक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना कर किसानों को वैज्ञानिक सलाह दी जानी थी। नरवर की यह प्रयोगशाला इसी योजना का हिस्सा थी, लेकिन यहां जाकर वास्तविक स्थिति देखने पर केवल एक पुरानी टेबल और खाली कमरे नजर आते हैं। मशीनों की कमी और कर्मचारियों की अनुपस्थिति ने इस प्रयोगशाला की उपयोगिता को शून्य कर दिया है।

स्थानीय किसान और ग्रामीण बताते हैं कि भवन तो बना हुआ है, लेकिन इसका कोई वास्तविक संचालन नहीं हो रहा। बोर्ड और फाइलों में सक्रिय दिखने वाली यह प्रयोगशाला जमीनी स्तर पर केवल वीरानी का प्रतीक बनकर रह गई है। हाल ही में कृषि विभाग के उप संचालक ने निरीक्षण किया और इसे “उत्तम” बताया, जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।

किसानों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यदि अधिकारी मौके पर आएं और वास्तविक स्थिति देखें तो साफ हो जाएगा कि प्रयोगशाला केवल कागजों में ही चल रही है। उन्होंने कलेक्टर और कृषि मंत्री से तुरंत संज्ञान लेने की मांग की है। उनका कहना है कि दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और नए जिम्मेदार प्रबंधक की नियुक्ति कर प्रयोगशाला को वास्तविक रूप दिया जाए।

रिकॉर्ड के अनुसार अब तक इस प्रयोगशाला में 1600 से अधिक मिट्टी के नमूनों की जांच दर्ज है। इन परीक्षणों का भुगतान विभाग द्वारा लिया गया, लेकिन वास्तविकता में किसी किसान के खेत से मिट्टी का नमूना लेकर जांच नहीं की गई। इससे साफ है कि प्रयोगशाला केवल फाइलों में सक्रिय है और हकीकत में किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा।

पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष ने भी कहा कि उन्हें तो पता ही नहीं था कि नरवर में ऐसी कोई प्रयोगशाला है। उन्होंने मौके पर जाकर इसकी जांच करवाने का आश्वासन दिया। वहीं उप संचालक कृषि विभाग ने बताया कि निरीक्षण में कई कमियां पाई गई थीं और नोटिस भी जारी किया गया है। आगे आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

नरवर की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला इस समय केवल कागजी योजना बनकर रह गई है, जबकि किसानों की उम्मीदें अधूरी हैं। यदि समय रहते सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो यह योजना केवल दिखावे और भ्रष्टाचार का उदाहरण बन सकती है।