Punjab news : पंजाब सरकार ने सुखबीर बादल के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगाई रोक, नहीं चल सकेंगी वाटर बस

Punjab news : रणजीत सागर झील को लेकर पंजाब सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तत्काल प्रभाव से वाटर बस सेवा शुरू नहीं हो पाएंगी। पंजाब सरकार ने इस रणजीत सागर झील प्रोजेक्ट को पिछली सरकारों के भ्रष्टाचार मुख्य बिंदु करार दिया। जिसे अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता हैं।
पंजाब के पर्यटन मंत्री प्रोजेक्ट को लेकर दी प्रतिक्रिया
पंजाब के पर्यटन और सांस्कृतिक मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने प्रेस में बयान दिया कि वाटर बस सेवा शुरू करना लोगों की जान को जोखिम में डालने के समान है, क्योंकि जो बसें खरीदी गई थी, वह पूरी तरह खराब एवं खस्ताहाल हो चुकी है। यदि इन बसों को रणजीत सागर झील में उतारा गया तो कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। इसलिए सरकार ने लोगों की रक्षा के लिए इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है।
पिछली सरकारों पर लगाएं भ्रष्टाचार के आरोप
पर्यटन मंत्री सौंद ने कहा कि, पिछली सरकार द्वारा वाटर बस योजना के तहत 8.63 करोड़ रुपये की लागत से यहां वाटर बस सेवा शुरू की गई थी। जो कि बेहद गलत निर्णय था। रणजीत सागर झील में इस सेवा को बहुत ही कम समय के लिए संचालित किया गया। जिसके कारण आमदनी कम हुई और करोड़ों रुपयों का खर्च आए है। मंत्री ने आगे कहा कि, इस भ्रष्टाचार के मामले में विभाग ने जांच शुरू कर दी है। इसमें जो भी अधिकारी संलिप्त थे और सरकार के समय किस फर्म के जरिये यह वाटर बस सेवा शुरू की गई थी, उसे ब्लैकलिस्ट में डाला जाएगा। अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में 2016 में यह सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन इसके नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर भ्रष्टाचार किया गया। यह ‘सुपर फेल’ परियोजना पिछली सरकारों के गलत नफैसलों का परिणाम है, जिससे जनता के धन की बर्बादी हुई। यह धन जनकल्याण योजनाओं में उपयोग किया जा सकता था।
प्रोजेक्ट कब शुरू हुआ था?
यह प्रोजेक्ट 2016 में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने शुरू किया था। वहीं वाटर बस योजना तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल का ड्रीम प्रोजेक्ट थीं। इस योजना के तहत बसों को करीब साढ़े आठ करोड़ की लागत से एक निजी कंपनी से खरीदा गया था। उस समय ये बसें हरिके वेटलैंड में चलाई गई थीं। यह कुल मिलाकर ये 9.50 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट था। उस समय बसें करीब दस दिन ही चलीं। कांग्रेस की सरकार में रहें तत्कालीन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि इन बसों की नीलामी की जाएगी और कश्मीर की तर्ज पर शिकारे चलाए जाएंगे। इसके बाद बसों को गैराज में रख दिया गया था। तब से लेकर अब तक प्रोजेक्ट अटका हुआ है।