लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले पर सीटों का बंटवारा कर सकता है
लोकसभा चुनाव में भाजपा-जदयू ने 12-12, लोजपा ने पांच और हम ने अपने हिस्से की इकलौती सीट पर जीत हासिल की थी। इस फॉर्मूले से प्रति लोकसभा सीट के बदले विधानसभा की 8 सीट का हिसाब बनता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे के मामले में लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले के आधार पर ही सहमति बनाई जाएगी। इसके तहत राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों में 200 सीटें भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खाते में आ सकती हैं। तीन अन्य सहयोगी दलों को 43 सीटों पर लड़ने का मौका मिल सकता है।
भाजपा-जदयू जल्द ही इस फॉर्मूले पर अपने सहयोगियों लोजपा (रामबिलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) से बातचीत करेंगे। राज्य में इसी साल अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा सूत्रों ने बताया कि प्रारंभिक विमर्श में भाजपा-जदयू के बीच सीट बंटवारे पर लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले को ही आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है।
विधानसभा चुनाव : सबसे बड़ी चुनौती मांझी-चिराग को मनाना
भाजपा और जदयू के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस फॉर्मूले पर हम मुखिया जीतनराम मांझी और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान को मनाने की होगी। मांझी 30 सीटें मांग रहे हैं, जबकि लोजपा लोकसभा में जीती सीटों के आधार पर सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करना चाहती है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा-जदयू ने 12-12, लोजपा ने पांच और हम ने अपने हिस्से की इकलौती सीट पर जीत हासिल की थी। इस फॉर्मूले से प्रति लोकसभा सीट के बदले विधानसभा की 8 सीट का हिसाब बनता है। ऐसे में इसका लाभ लोजपा को होगा, जिसने अपने हिस्से की सभी पांच 5 सीटें जीती थीं।
पिछले विस में एआईएमआईएम ने दिया था झटका
विपक्षी महागठबंधन को एआईएमआईएम ने अपने प्रस्ताव से उलझा दिया है। असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने अपनी ओर से राजद के समक्ष गठबंधन की पेशकश की है। दरअसल, बीते विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीमांचल की चार सीटों पर जीत दर्ज कर राजद को बड़ा झटका दिया था। हालांकि, बाद में इनके सभी विधायक राजद में शामिल हो गए। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में एआईएमआईएम के बढ़ते उभार से सतर्क राजद और कांग्रेस इसे भाजपा की बी टीम बताती है। ऐसे में एआईएमआईएम के गठबंधन के प्रस्ताव से राजद के लिए परेशानी खड़ी हो गई है।