बड़ागांव का ऐतिहासिक चंदेल पोखना तालाब अस्तित्व संकट में
Movie prime

बड़ागांव का ऐतिहासिक चंदेल पोखना तालाब अस्तित्व संकट में

 
Chhatarpur news, MP news,

Chhatarpur News: बड़ागांव नगर का चंदेल कालीन पोखना तालाब, जो 9वीं-10वीं शताब्दी में चंदेल शासकों द्वारा बनवाया गया था, आज उपेक्षा और लापरवाही का शिकार बन चुका है। कभी यह तालाब नगर की पहचान और जीवनदायिनी धरोहर माना जाता था, लेकिन अब जलकुंभी और गंदगी से भर गया है।

करीब 430 एकड़ में फैले इस तालाब की जलभराव क्षमता पहले 9 फीट तक थी। वर्षा के मौसम में यह तालाब लबालब भरकर आसपास की कृषि भूमि की सिंचाई और नगरवासियों की प्यास बुझाने का काम करता था। लेकिन अब तालाब पर्याप्त पानी नहीं रोक पा रहा है और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि शासन और प्रशासन लाखों रुपए खर्च कर तालाबों की सफाई और संरक्षण की योजनाओं का दावा करते हैं, लेकिन चंदेल पोखना तालाब लंबे समय से लापरवाह देखरेख का शिकार है। नगर परिषद भी इसकी नियमित सफाई और गहरी सफाई पर ध्यान नहीं दे रही है। गंदगी और मिट्टी भरने से जलस्तर लगातार घट रहा है और तालाब उथला होता जा रहा है।

तालाब के पानी की कमी का असर सीधे आसपास के किसानों और नगरवासियों पर पड़ रहा है। पहले यह तालाब न केवल सिंचाई बल्कि पीने के पानी का भी मुख्य स्रोत रहा है। अब लगातार कई वर्षों से तालाब अधूरा भरा रहता है, जिससे जलस्तर गिर रहा है और गर्मियों में पेयजल संकट और गंभीर हो जाता है।

स्थानीय लोगों की चिंता है कि तालाब की सही समय पर सफाई और संरक्षण नहीं किया गया तो यह पूरी तरह सूख सकता है। इसके परिणामस्वरूप 15,000 से अधिक लोगों की पानी की आपूर्ति और खेती-किसानी दोनों प्रभावित होंगी। लोग मांग कर रहे हैं कि प्रशासन तालाब की गहरी सफाई कराए, जलस्रोतों को पुनर्जीवित करे और इसे संरक्षण योजना में शामिल कर एक बार फिर से बड़ागांव के लिए जीवनरेखा बनाए।

तालाब तक पानी पहुँचाने वाली पुरानी नहरें भी बंद या अतिक्रमण के कारण अनुपलब्ध हो गई हैं। कम बारिश के कारण स्थिति और गंभीर हो गई है, और किसानों को पर्याप्त सिंचाई के लिए अन्य विकल्पों की तलाश करनी पड़ रही है।