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Jind News: यदुवंशी विद्यालय में सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर भावपूर्ण कार्यक्रम आयोजित

कार्यक्रम के दौरान छात्रों को झंडा दिवस के इतिहास और उद्देश्य के बारे में जागरूक किया गया। प्रधानाचार्य महोदय ने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि अपना घर छोड़कर सरहद को अपना ठिकाना बना लिया, जान हथेली पर रखकर देश की हिफाजत को धर्म बना लिया।
 
छात्रों को झंडा दिवस के इतिहास और उद्देश्य के बारे में किया गया जागरूक

Jind News: जींद स्थित यदुवंशी विद्यालय, बिबीपुर में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के उपलक्ष्य में आज एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय ने छात्रों को संबोधित करते हुए इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला।

प्रधानाचार्य जतिन कथूरिया ने कहा, "सशस्त्र सेना झंडा दिवस हर साल 7 दिसंबर को भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना के वीर जवानों के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिवस उन शहीदों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए समर्पित है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने बताया कि यह दिवस पहली बार 1949 में मनाया गया और तब से यह परंपरा निरंतर जारी है। इस दिन, देशवासियों को अपनी सेना के सेवानिवृत्त, शहीद और घायल हुए सैनिकों के परिवारों के कल्याण हेतु आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे फंड में आर्थिक सहयोग करने का अवसर मिलता है। इसी फंड के माध्यम से सैनिकों और उनके परिवारों की भलाई के लिए सहायता की जाती है।

छात्रों को झंडा दिवस के इतिहास और उद्देश्य के बारे में किया गया जागरूक

कार्यक्रम के दौरान छात्रों को झंडा दिवस के इतिहास और उद्देश्य के बारे में जागरूक किया गया। प्रधानाचार्य महोदय ने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि अपना घर छोड़कर सरहद को अपना ठिकाना बना लिया, जान हथेली पर रखकर देश की हिफाजत को धर्म बना लिया। मरने के बाद भी जिनके नाम में जान है। ऐसे जांबाज सैनिक हमारे भारत की शान हैं।उन्होंने सभी से अपील की कि इस दिन हमें खुले दिल से अपने सैनिकों के कल्याण हेतु आर्थिक सहयोग देना चाहिए। यह उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।कार्यक्रम के अंत में वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। छात्रों और शिक्षकों ने भी देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर इस अवसर पर भाग लिया। विद्यालय परिवार ने इस अवसर को सैनिकों के सम्मान और बलिदान को यादगार बनाने का संकल्प लिया। सशस्त्र सेना झंडा दिवस हमें अपने सैनिकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का सच्चा अवसर देता है, जो देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करते हैं।

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