Mughal Heram: मुगल हरम की सुरक्षा का जिम्मा हिजड़ों को ही क्यों दिया गया था ? जानिए क्यों बेन थी हरम में बाहरी पुरुषों की एंट्री ?
Mughal Heram history: मुगल हरम मुगल शासन के दौरान का एक ऐसा काला अध्याय है जिसका सच जानने के लिए देश दुनिया में लोग आज भी रिसर्च कर रहे हैं। हरम आज भी अपने अनोखे नियम और कानून के चलते लोगों के लिए रोचकता का विषय बना हुआ है। हरम अरबी शब्द ‘हराम' से निकला है। जिसका मूल अर्थ वर्जित और पवित्र होता है। मुगल हरम (mughal Heram) की शुरुआत तो पहले ही हो चुकी थी लेकिन 1556 में अकबर (Akbar) ने इसे संस्थागत दर्जा दिया। अकबर ने मुगल हरम की सुरक्षा को लेकर भी नए नियम और कानून बनाए। नए नियमों के अनुसार पहली बार मुगल हरम के अंदर रहने वाली महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी हिजड़ों को दी गई। इतिहासकार अनीशा शेखर मुखर्जी ने मुगल हरम (mughal haram history) से जुड़ी अपनी किताब ‘द रेड फोर्ट ऑफ शाहजहानाबाद: एन आर्किटेक्चरल हिस्ट्री’ में हरम के बारे में काफी रोचक जानकारियां लिखी हैं। उन्होंने अपनी किताब के माध्यम से हरम (heram) के बारे में बताते हुए लिखा है कि हरम में बादशाह की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसी भी बाहरी पुरुष की एंट्री को बैन किया हुआ था। वहीं हरम अंदर सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी हिजड़ों को दी गई थी।
हरम की औरतों की देखभाल हेतु रखी गई थी तीन लेयर की सुरक्षा
हरम में महिलाओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता था। हरम की सुरक्षा को मुगल शासको ने तीन लेयर (mughal heram security) में बांट रखा था। थ्री लेयर सुरक्षा के हिसाब से प्रथम लेयर की सुरक्षा का जिम्मा मुगल सेना के सैनिकों को दिया गया था। इसके अलावा दूसरी लेयर में तुर्की और कश्मीरी महिलाओं को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। यह महिलाएं हरम में गार्ड की ड्यूटी करती थी। वहीं तीसरी और सबसे अहम लेयर की जिम्मेदारी हिजड़ों को दी गई थी। इतिहासकार बताते हैं कि जब तक कोई भी मुगल शासक हरम में रहता था तब तक हिंजड़ो का उसके आसपास सुरक्षा के हिसाब से सबसे अधिक जमावड़ा रहता था।
इतिहासकार राणा सफवी ने मुगल धर्म की जानकारी देते हुए अपने एक आर्टिकल में लिखा है कि बादशाह के हरम में आते ही हिजड़े उनके आसपास सुरक्षा का बड़ा घेरा बनाते हुए मुस्तैदी से उनके इर्दगिर्द डटे रहते थे। बताया जाता कि हरम के अंदर हिजड़ों की ड्यूटी इसलिए भी लगाई गई थी ताकि कोई भी महिला बाहरी पुरुषों के संपर्क में ना आए।
हरम में बाहरी पुरुषों की एंट्री पर था पूरी तरह से बेन
इतिहासकार सर थॉमस कोरयाट लिखते हैं कि हरम के अंदर की सुरक्षा तुर्की महिलाओं और हिजड़े द्वारा की जाती थी। हरम के अंदर बादशाह के अलावा किसी भी अन्य पुरुष को घुसने की इजाजत नहीं दी गई थी। ऐसी ही एक रिपोर्ट हरम में पुरुषों के बेन को लेकर owlcation ने दी है। उन्होंने लिखा है कि मुगल शासक अकबर ने हरम के लिए अलग से सुरक्षा, राजस्व और मानव संसाधन विभाग की स्थापना की थी। इसके अलावा हरम की महिलाओं के लिए मनोरंजन और समय व्यतीत करने के सभी नियम और कानून इस्लामी मान्यताओं के अनुसार बनाए गए थे। हरम में बनाए गए नियम-कानून के तहत किसी भी पुरुष की एंट्री को पूरी तरह बेन किया गया था। हरम के अंदर सिर्फ महिलाओं और हिजड़ों को रहने की इजाजत थी। हरम में हिजड़ों को ‘ख्वाजा सार’ की उपाधि दी गई थी। बताया जाता है कि अकबर के शासनकाल में हरम की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसी भी बाहरी शख़्स की एंट्री पर पूरी तरह से बेन लगा दिया गया था।
प्रोफेसर आर. नाथ ने मुगल हरम (Mughal Harem) के बारे में अनेक किताबें लिखी हैं। आर. नाथन ने अपनी एक किताब में लिखा है कि अगर हरम की कोई महिला किसी बाहरी पुरुष के संपर्क में आते हुए पकड़ी जाती थी तो उसे हरम के अंदर बनाए गए अंडरग्राउंड फांसीघर में फांसी पर लटका कर लाश को सुरंग के रास्ते बाहर फेंक दिया जाता था। इसी प्रकार बाहरी पुरुषों को भी मुगल हरम में प्रवेश करने पर मौत की सजा दी जाती थी।