उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में IITian बाबा अभय सिंह हरियाणा के रहने वाले , पिता ने कहीं बाबा के बारे में पांच अहम बातें

IITian बाबा अभय सिंह:उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में IITian बाबा अभय सिंह खूब सुर्खियों में हैं। अभय ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की। इसके बाद कनाडा जाकर एरोप्लेन बनाने वाली कंपनी में काम किया। हालांकि अचानक वह देश लौटे और कुछ समय बाद घर से गायब हो गए।
अभय हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता कर्ण सिंह वकील हैं और झज्जर बार एसोसिएशन के प्रधान भी रह चुके हैं। महाकुंभ से जब उनकी वीडियो वायरल हुई तो परिवार को पता चला। हालांकि अब वे इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहते।
पिता ने कहीं 5 अहम बातें
1.बचपन से ही पढ़ाई में होशियार था अभय
2.अच्छा रैंक आने के बाद मुंबई IIT में एडमिशन मिला
3.कोरोना काल में कनाडा रहा, बहन के पास ही रहकर नौकरी की
4.कनाडा से आने के बाद अभय को भिवानी के एक नेचुरोपैथी सेंटर में ले गए
5.यहां मेडिटेशन के दौरान डॉक्टर ने अभय के अध्यात्म में जाने की बात बताई थी
हरियाणा के बाबाअभय सिंह के इंजीनियर से संन्यासी बनने की पुरी कहानी
कोचिंग के लिए कोटा की जगह दिल्ली गया
अभय सिंह का जन्म झज्जर के गांव सासरौली में हुआ। वह ग्रेवाल गोत्र के जाट परिवार में जन्मे। अभय ने शुरुआती पढ़ाई झज्जर जिले से की। पढ़ाई में वह बहुत होनहार थे। इसके बाद परिवार उन्हें IIT की कोचिंग के लिए कोटा भेजना चाहता था। मगर अभय ने दिल्ली में कोचिंग लेने की बात कही।
IIT बॉम्बे में पढ़ाई, कनाडा में काम किया
कोचिंग के बाद अभय ने IIT का एग्जाम क्रैक कर लिया। जिसके बाद उन्हें IIT बॉम्बे में एडमिशन मिल गया। अभय ने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली। इसके बाद डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री की। अभय की छोटी बहन कनाडा में रहती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद परिवार ने उन्हें अच्छे फ्यूचर के लिए कनाडा भेज दिया। कनाडा में अभय ने कुछ समय एरोप्लेन बनाने वाली कंपनी में काम भी किया। जहां उन्हें 3 लाख सेलरी मिलती थी।
लॉकडाउन की वजह से कनाडा में फंसे
इसके बाद कनाडा में लॉकडाउन लग गया। जिस वजह से अभय भी कनाडा में ही फंस गए। परिवार का कहना है कि अभय का अध्यात्म में पहले से ही इंटरेस्ट था। लॉकडाउन के दौरान अभय जब अकेला पड़ा तो उसने अपनी जिंदगी के बारे में ज्यादा गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया।
घर लौटे तो ध्यान लगाने लगे
हालांकि जब लॉकडाउन हटा तो बाबा अभय भारत लौट आए। यहां आने के बाद वह अचानक फोटोग्राफी करने लगे। अभय सिंह को घूमने का भी शौक रहा, इसलिए वह केरल गए। उज्जैन कुंभ में भी गए थे। हरिद्वार भी गए। कनाडा से लौटने के बाद अभय घर में ध्यान भी लगाने लगे। परिवार जब उनकी शादी की बात करता तो उसे अच्छा नहीं लगता था। हालांकि उनके मन में क्या चल रहा था, इसका आभास परिवार में किसी को नहीं था।
लगभग11 महीने पहले अचानक घरवालों से संपर्क कटा
परिवार के मुताबिक 11 महीने पहले अचानक अभय सबके संपर्क से बाहर हो गया। परिवार ने बहुत कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई। वह इतना कहते थे कि कोई जरूरी काम हो तो मैसेज कर दिया करो। हालांकि करीब 6 महीने पहले परिवार को चिंता हुई और अभय से बात करनी चाही तो उन्होंने माता-पिता और बहन का नंबर भी ब्लॉक कर दिया।
पिता बोले- वापसी पर तकलीफ होगी, मां संन्यासी बनने से दुखी
मीडिया से बातचीत में अभय के पिता ने कहा कि वह बचपन से ही बातें बहुत कम करता था। मगर हमें कभी यह आभास नहीं था कि वह अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़ेगा। क्या वह अपने बेटे को घर लौटने के लिए कहेंगे तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं कह तो दूंगा लेकिन उसे तकलीफ होगी। उसने अपने लिए जो निर्णय लिया, वही उसके लिए सही है। मैं कोई दबाव नहीं डालना चाहता। वह अपनी धुन का पक्का है। हालांकि इकलौते बेटे के अचानक संन्यास लेने से मां खुश नहीं है।
बाबा अभय ने कहा था- मेरा काम परिवार को पसंद नहीं इस मामले में मीडिया ने जब अभय सिंह से बात की थी तो उन्होंने कहा था कि मैं जो करना चाहता था, वह परिवार को पसंद नहीं था। घरवालों की शादी की बात में मेरी कोई रुचि नहीं थी। मैं हमेशा से ही घर छोड़ना चाहता था। इसीलिए मैंने IIT मुंबई से पढ़ाई की।
बाबाअभय बोले- मेरी भी गर्लफ्रेंड थी
एक मीडिया चैनल से अभय सिंह ने अपनी लव लाइफ पर बात करते हुए कहा कि मेरी भी गर्लफ्रेंड हुई। हम 4 साल के आसपास साथ रहे, लेकिन शादी तक बात नहीं पहुंची। मैं मां-बाप के झगड़ों को देखकर शादी करना ही नहीं चाहता था। क्योंकि जिंदगी में वही सब झगड़े होते। इसलिए सोचा क्या करना है। अच्छा है अकेले रहो और खुश रहो। मुझे ऐसा लगता था कि ऐसे ही लड़ाई झगड़ा करना है तो इससे अच्छा है कि अकेले ही जियो।
बाबा अभय सिंह बताते हैं कि मैंने साधना की। मैं सोचता था कि मोहमाया में न ही पडूं। मैं स्कूल से आने के बाद दिन में सो जाता था। उसके बाद रात 12 बजे उठता था।
बाबा अभय सिंह ने कहा कि बहुत मुश्किल था इस सामाजिक दायरे को तोड़ना। उन्होंने कहा कि अब वह घर नहीं जाते हैं।
बाबा अभय को किसी तरह से ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं। दबाव डालकर वह उसे घर नहीं लाना चाहते हैं। अभय ने कभी झूठ नहीं बोला। वह जो ठान लेता उसे कर दिखाता था।
कर्ण, अभय सिंह के पिता