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Sucess Story: कपड़े की मील में काम करने वाले भारतीय जनमदास ने अमेरिका में खड़ा कर दिया बड़ा अंपायर, पढ़िए क्या है पूरी कहानी

Haryanaline: भारतीय मूल के जनमदास की कहानी इनसे कुछ अलग है। भारतीय मूल के वाटूमल परिवार में जन्मे जनमदास की फैमिली आज अपनी मेहनत के बल पर अमेरिका के हवाई द्वीप के सबसे अमीर परिवारों में गिनी जाती है। 
 
sucess story
 worked in a cloth mill, became a big umpire in America

Sucess Story: भारतीय मूल के जनमदास की कहानी बिजनेस की दुनिया में किसी सितारे से काम नहीं है। जनमदास वह नाम है, जिसने कपड़े की मिल में हेल्पर का काम शुरू कर आज अमेरिका में अपना सिक्का जमा रखा है। 


वैसे तो लोगों ने दुनिया के कई देशों में हर फील्ड में सफलता के झंडे गाड़े हैं। लेकिन भारतीय मूल के जनमदास की कहानी इनसे कुछ अलग है। भारतीय मूल के वाटूमल परिवार में जन्मे जनमदास की फैमिली आज अपनी मेहनत के बल पर अमेरिका के हवाई द्वीप के सबसे अमीर परिवारों में गिनी जाती है। 

जनमदास ने अमेरिका में हवाई द्वीप के होनोलूलू में 1915 में अपने पहले स्टोर से की शुरुआत 

जमनदास वाटूमल का जन्म आजादी से पहले सिंध प्रांत के हैदराबाद में हुआ था। भारतीय मूल के जनमदास ने अमेरिका में हवाई द्वीप के होनोलूलू में आज से लगभग 110 साल पहले 1915 में अपने पहले छोटे से स्टोर से अपने बिजनेस की शुरुआत की थी।

जनमदास 1915 में अपने पहले स्टोर में पीतल के बर्तन, रेशम, हाथीदांत की बनी चीजें बेचते थे। वो ऐसे पहले व्यक्ति थे, जो भारत से हवाई द्वीप से होकर अमेरिका पहुंचे और अपने बिजनेस की शुरुआत की। आज संपूर्ण अमेरिका में जनमदास वाटूमल के परिवार के बिजनेस का सिक्का चलता है।

आज जनमदास वाटूमल का परिवार का बिजनस गारमेंट बनाने के साथ-साथ रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी पूरा नाम है।

पिता को लकवा मारने के बाद जनमदास ने कपड़े की मिल में हेल्पर के तौर पर किया काम शुरू

जमनदास के जीवन की पूरी कहानी कठिनाइयों से भरी हुई रही। इनके पिता का ईंटों का बिजनस था। जिनको एक दुर्घटना में लकवा मार जाने के बाद परिवार की माली हालत खराब हो गई थी।

परिवार की ऐसी हालत को देखते हुए पैसे कमाने के लिए जन्म दास ने फिलीपींस जाने का फैसला लिया। इसके बाद जमनदास  फिलीपींस चले गए और वहां कपड़े  की मील में काम शुरू किया। लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने 1909 मे मनीला में अपना खुद का ट्रेडिंग बिजनस शुरू कर दिया।

इस बिजनेस में उनके साथी धर्मदास ने उनका पार्टनर के तौर पर साथ दिया। लेकिन अभी भी जनमदास वाटूमल का मुसीबत ने साथ नहीं छोड़ा था। जैसे ही उनका बिजनेस ठीक-ठाक चल तभी अमेरिका ने फिलीपींस पर कब्जा कर लिया।

अमेरिका ने फिलीपींस पर कब्जा कर विदेशी कंपनियों के साथ संबंधों पर कुछ पाबंदियां लगा दी थीं। इसके बाद जनमदास और धर्मदास के बिजनेस में गिरावट आ गई।

1915 में अपने साथी धर्मदास के साथ होनोलूलू में शुरू किया नया बिजनेस 

अमेरिका द्वारा फिलिपींस पर कब्जा करने के बाद जमनदास वाटूमल 1915 में अपने साथी धर्मदास के साथ होनोलूलू पहुंच गए। यहां पर उन्होंने इंपोर्ट बिजनस पर आधारित अपना पहला स्टोर खोला।

नया बिजनेस शुरू करने के 1 वर्ष बाद उस समय जनमदास वाटूमल एक बार फिर टूट गए थे, जब 1916 में उनके दोस्त धरमदाश की हैजा की बीमारी से मौत हो गई थी। बुरे वक्त की इस घड़ी में जमनदास के भाई गोविंदराम ने उनका साथ दिया। गोविंद राम ने होनोलूलू पहुंच कर जनमदास के स्टोर को मैनेज किया।

हालांकि उसे समय गोविंदराम खुद मनीला में अपना बिजनस करते थे, लेकिन अपने भाई जनमदास पर मुसीबत पड़ने के कारण वह उनकी मदद करने हेतु होनोलूलू पहुंच गए। आज जनमदास वाटूमल के परिवार की पहचान अमेरिका में एक बड़ी बिजनेसमैन फैमिली के तौर पर होती है।

समस्त अमेरिका में आज जनमदास वाटूमल के परिवार के बिजनेस का सिक्का चल रहा है।