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हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों के पेंशन लेने वाले माता-पिता के इलाज का नहीं मिलेगा सरकारी खर्च

सरकारी खर्च पर इलाज नहीं करा सकते: कर्मचारियों के अभिभावकों की मासिक आय 3500 रुपये या इससे अधिक है तो चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी। एक तरफ प्रदेश में 15 हजार रुपये मासिक कमाई वाले परिवारों को BPL (गरीबी रेखा से नीचे) का दर्जा देकर मुफ्त इलाज सहित कई सुविधाएं दी जा रही हैं, जबकि कर्मचारियों के बुजुर्ग माता-पिता को अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
 
माता-पिता के इलाज का नहीं मिलेगा सरकारी खर्च

Haryana Pension Scheme:  अक्सर आपने देख होगा की सरकारी कर्मचारी होने के बाद परिवार के कई बड़े बुजर्ग पेंशन (Budapa Pension) का लाभ लेते है। ऐसे में हरियाणा में अगर किसी कर्मचारी के माता-पिता बुजुर्ग सम्मान भत्ता या कोई अन्य पेंशन ले रहे हैं तो वे सरकारी खर्च पर इलाज नहीं करा सकते।

कारण हैं 17 साल पुराना नियम, जिसके अनुसार अगर कर्मचारियों के अभिभावकों की मासिक आय 3500 रुपये या इससे अधिक है तो चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी। एक तरफ प्रदेश में 15 हजार रुपये मासिक कमाई वाले परिवारों को BPL (गरीबी रेखा से नीचे) का दर्जा देकर मुफ्त इलाज सहित कई सुविधाएं दी जा रही हैं, जबकि कर्मचारियों के बुजुर्ग माता-पिता को अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

सरकार ने रोकी 3500 रुपये मासिक आय वाले माता-पिता के चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति

* 15 हजार रुपये मासिक कमाई वाले परिवारों को मिलती बीपीएल की सभी सुविधाएं, हसला ने बताया इसे भेदभाव

हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) के राज्य प्रधान सतपाल सिंधु ने स्वास्थ्य विभाग के (Helth Deprtment) अतिरिक्त मुख्य सचिव और वित्त सचिव को पत्र लिखकर वर्ष 2007 से चले आ रहे नियमों में बदलाव की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के आश्रितों के चिकित्सा पर किए

* परिवार पहचान पत्र (Haryana PPP) से बढ़ी समस्या

हसला के राज्य महांसचिव अमित मनहर ने बताया कि चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति की समस्या तब ज्यादा सामने आने लगी है जब परिवार पहचान पत्र में आश्रित माता-पिता को मिलने वाली बुढ़ापा पेंशन (Old Age Pension Scheme) को आय का स्रोत मान लिया गया है। उनकी आय की गणना माता व पिता दोनों की आय को मिलाकर की जाती है जिसके कारण उनकी मासिक आय 3500 प्रति माह से ज्यादा होने पर उनके चिकित्‌सा बिलों की प्रतिपूर्ति नहीं की जाती।

गए भुगतान की प्रतिपूर्ति के लिए पालिसी बना रखी है। सतपाल सिंधु ने बताया कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति मालिसी में आश्रित माता-पिता के चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति के लिए उनकी आय का नियम सन 2007 में 750 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 3500 रुपये प्रति माह किया गया था। इसके बाद नियमों में

कोई बदलाव नहीं हुआ। नतीजतन वर्तमान में कर्मचारियों को अपने आश्रित माता-पिता का इलाज कराने में समस्या आ रही है। अधिकारियों द्वारा बिलों को रिजेक्ट कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार को आश्रित माता-पिता की आय का नियम 20000 प्रति माह करके कर्मचारियों को राहत देनी चाहिए