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Income tax: ITR फाइल करने से पहले जान लें – सिर्फ सैलरी नहीं, इन 6 से ज्यादा मामलों में भी कटता है TDS

 

Income Tax: अगर आप वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) से जुड़ी अहम जानकारियों को समझना बेहद जरूरी है। टीडीएस केवल सैलरी पर ही नहीं, बल्कि कई अन्य स्रोतों से होने वाली आय पर भी कट सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि टीडीएस क्या होता है, यह किन-किन मामलों में लागू होता है, टीडीएस फाइलिंग के नियम क्या हैं और इन नियमों का पालन न करने पर क्या जुर्माना लग सकता है।
 

टीडीएस क्या है
जब कोई व्यक्ति, संस्था या कंपनी किसी को भुगतान करती है, तो उस भुगतान से पहले टैक्स काटना जरूरी होता है। इसे टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) कहा जाता है। यह भुगतान सैलरी, किराया, कमीशन या अन्य किसी प्रकार का हो सकता है। हालांकि, टीडीएस कटौती केवल तब लागू होती है जब भुगतान एक निर्धारित सीमा से अधिक हो। टीडीएस काटने वाली संस्था या व्यक्ति को यह टैक्स सरकार के खाते में जमा करना होता है। बाद में, जब टैक्सपेयर्स अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते हैं, तो इस कटौती को उनकी कुल टैक्स देनदारी से समायोजित कर लिया जाता है।

किन मामलों में काटा जाता है TDS
टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) कई प्रकार की आमदनी पर लागू होता है। मुख्य रूप से सैलरी (धारा 192), बैंक या फाइनेंशियल संस्थानों से मिलने वाले ब्याज (धारा 194A), किराया (धारा 194I), प्रोफेशनल फीस (धारा 194J), कमीशन या ब्रोकरेज (धारा 194H), प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री (धारा 194IA) और डिविडेंड (धारा 194) जैसी ट्रांजैक्शंस पर टीडीएस कटता है। सैलरी देने वाले नियोक्ता को कर्मचारी को टीडीएस की जानकारी देने के लिए फॉर्म 16 जारी करना होता है, जबकि नॉन-सैलेरी पेमेंट पर फॉर्म 16A दिया जाता है। यह दस्तावेज टैक्सपेयर्स के लिए आईटीआर दाखिल करने में मददगार साबित होते हैं।

कहां देखें टीडीएस की डिटेल
जिस टैक्सपेयर से टीडीएस काटा जाता है, वह अपनी टीडीएस की जानकारी फॉर्म 26AS या Annual Information Statement (AIS) में देख सकता है। यह डिटेल्स इनकम टैक्स विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होती हैं। जब टैक्सपेयर अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करता है, तो इस टीडीएस को उसकी कुल टैक्स देनदारी में समायोजित किया जाता है। इससे टैक्सपेयर को दोहरी कटौती से बचाव होता है और सही टैक्स भुगतान सुनिश्चित होता है।

हर तिमाही टीडीएस जमा करना जरूरी
टीडीएस काटने वाले को हर तिमाही अपनी टीडीएस जमा करने और रिटर्न फाइल करने का नियम है। इसके लिए वे फॉर्म 24Q, 26Q जैसे फॉर्म का उपयोग करते हैं। यदि टीडीएस काटने वाला तय समय पर या पूरी राशि जमा नहीं करता है, तो उस पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 234E के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है। इसलिए, समय पर टीडीएस जमा करना और रिटर्न फाइल करना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में किसी तरह की पेनल्टी से बचा जा सके।

कितना कटता है टीडीएस
टीडीएस की कटौती की दर भुगतान के प्रकार और प्राप्तकर्ता के आधार पर अलग-अलग होती है। यह दर व्यक्ति और फर्म दोनों के लिए भिन्न हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई कंपनी आपको सैलरी देती है, तो आपकी सालाना आय के अनुसार निर्धारित टैक्स ब्रैकेट के अनुसार टीडीएस काटा जाएगा। वहीं, यदि टैक्सपेयर ने अपना पैन (Permanent Account Number) प्रस्तुत नहीं किया है, तो उस पर न्यूनतम 20% या उससे अधिक की दर से टीडीएस काटा जा सकता है। इसलिए पैन का होना टीडीएस कटौती को कम करने में सहायक होता है।

निल डिडक्शन का भी प्रावधान
टीडीएस सिस्टम में निल डिडक्शन सर्टिफिकेट का भी विकल्प उपलब्ध है। यदि किसी व्यक्ति की वास्तविक टैक्स देनदारी टीडीएस की कटौती से कम हो, तो वह इनकम टैक्स एक्ट की धारा 197 के तहत कम या निल टीडीएस कटौती के लिए आवेदन कर सकता है। इसके अलावा, यदि आपकी आय पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती लेकिन टीडीएस पहले ही काटा गया है, तो आप उस राशि का रिफंड क्लेम कर सकते हैं। यह प्रक्रिया टैक्सपेयर्स के लिए महत्वपूर्ण राहत का साधन है।

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