HARYANA NEWS: हरियाणा की राजनीति के चाणक्य ने कहा दुनिया को अलविदा, जानिए उस घटना के बारे में जिसने ओम प्रकाश चौटाला का मरते दम तक नहीं छोड़ा पीछा

OM PARKASH CHAUTALA PASSED AWAY: हरियाणा प्रदेश की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। हरियाणा प्रदेश की राजनीतिक को आज उस समय बड़ा झटका लगा, जब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री इनेलो सुप्रीमो चौधरी ओम प्रकाश चौटाला ने गुरुग्राम स्थित अपने निवास स्थान पर आज शुक्रवार (20 दिसंबर) को 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के निधन की खबर सुनकर प्रदेश के साथ-साथ संपूर्ण देश में एक दुख की लहर दौड़ पड़ी है। चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के निधन की खबर से प्रदेश के साथ-साथ संपूर्ण देश के लोगों को भी गहरा आघात लगा है और चारों तरफ शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
ओम प्रकाश चौटाला 5 बार बने हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री
चौधरी ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा प्रदेश के पांच बार मुख्यमंत्री बने। उन्होंने सर्वप्रथम 2 दिसंबर 1989 को हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यकाल संभाला और 171 दिन तक इस पद पर रहे। दूसरी बार वो 12 जुलाई 1990 को केवल 5 दिन के लिए हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। तीसरी बार चौटाला 22 मार्च 1991 को हरियाणा के सीएम बने और 15 दिनों तक पद पर रहे। 15 दिन बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद 1999 चोथी बार हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। फिर इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बने। ओमप्रकाश चौटाला ने 24 जुलाई 1999 को प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला और 2 मार्च 2000 तक पद पर रहे। 2000 में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद पांचवीं बार हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद वे 2005 तक पद पर रहे और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
27 फरवरी 1990 को हुए महम कांड ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का मरते दम तक नहीं छोड़ा पीछा
हरियाणा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन 27 फरवरी 1990 को महम विधानसभा सीट पर चुनाव के दौरान एक ऐसा कांड हुआ था, जिसने ओमप्रकाश चौटाला का मरते दम तक पीछा नहीं छोड़ा। बात उस समय की है, जब स्वर्गीय ताऊ देवीलाल को देश का उप प्रधानमंत्री बनाया गया था। जब ताऊ देवीलाल को देश का उप प्रधानमंत्री बनाया गया, उस दौरान वे हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने उप प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अपने बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री बनाया और 27 फरवरी 1990 को हुए विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया। लेकिन खाप पंचायतों ने ताऊ देवीलाल के इस फैसले का कड़ा विरोध जताया। उप प्रधानमंत्री बनने के बाद ताऊ देवीलाल जब रोहतक जिले की महम विधानसभा में पहुंचे तो उन्होंने कहा की इस बार “महम का वहम" निकालने के लिए आए हैं। उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल की इस बात ने आग में घी डालने का काम किया। इसके बाद संपूर्ण विधानसभा में ताऊ देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला को लेकर लोगों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।
27 फरवरी, 1990 को रोहतक जिले के महम में जब उप चुनाव की तारीख आई तो मतदान के दौरान जबरदस्त हिंसा और चुनावों में धांधली व बूथ कैप्चरिंग भी हुई। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के सामने चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार आनंद सिंह दांगी ने तत्कालीन डीएसपी को बूथ कैप्चर करते हुए रंगे हाथों दबोचने की बात भी कही थी। उस दौरान उप प्रधानमंत्री के बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री व खाप पंचायतों द्वारा विरोध का ऐलान करने के कारण तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नजरें इस चुनाव पर टिकी हुई थी। यही कारण था कि 1990 के इस उपचुनाव में बूथ कैपचरिंग और चुनावी धांधली की बातें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रमुखता से छपी। इसके बाद चुनाव आयोग ने चुनाव रद्द करते हुए दोबारा से करवाने की घोषणा की। चुनाव आयोग की घोषणा के बाद एक बार फिर महम विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए।
लेकिन इस बार फिर चुनाव में जमकर हिंसा हुई। इस दौरान ओमप्रकाश चौटाला पर चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने और बूथ कैपचरिंग करने का आरोप लगा। जिसके चलते चुनाव आयोग ने इस चुनाव को फिर से रद्द कर दिया। इसके बाद एक बार फिर 21 मई को चुनाव आयोग द्वारा मतदान हेतु तारीख तय की गई। लेकिन इस बार चुनाव से ठीक कुछ दिनों पहले ही आनंद सिंह दांगी के गांव (मदीना) से ही चुनाव में खड़े एक निर्दलीय उम्मीदवार अमरीक सिंह की किसी ने हत्या कर दी। अमरीक सिंह की हत्या के बाद चारों तरफ दंगे भड़क गए। अमरीक सिंह को खुद चौटाला परिवार ने ही आनंद सिंह दांगी के वोट काटने हेतु खड़ा किया था। चुनाव से ठीक पहले अमरीक सिंह की हत्या का आरोप आनंद सिंह दांगी पर लगा। अमरीक सिंह की हत्या के बाद चुनाव आयोग को एक बार फिर यह चुनाव रद्द करना पड़ा। हालांकि अमरीक सिंह की मौत आज भी एक पहेली बनी हुई है।
अमरीक सिंह की मौत के बाद आनंद सिंह दांगी के समर्थकों और पुलिस प्रशासन के बीच जमकर हुआ था खून-खराबा
चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला के सामने खड़े आनन्द सिंह दांगी को अमरीक सिंह की हत्या के आरोप में जब पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची, तो उनके समर्थकों ने पुलिस पर पथराव करते हुए हमला बोल दिया। इस घटना के दौरान पुलिस और आनंद सिंह दांगी के समर्थकों में भारी खून खराब हुआ। आनंद सिंह दांगी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में उस समय 10 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ो लोग घायल हो गए थे।
उन्होंने इंटरव्यू में यह भी कहा था कि रोहतक के तत्कालीन एसपी ने उन पर भी गोलीबारी की थी, लेकिन वह अपने समर्थकों की मदद से घटनास्थल से बच निकले थे। इस घटना के बाद प्रदेश के उस समय के मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह बनारसी दास गुप्ता को हरियाणा प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। हरियाणा प्रदेश के महम में हुए इस खूनी खेल ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। 1990 में हुआ महम कांड एक ऐसा काला अध्याय था, जिसने पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का मरते दम तक पीछा नहीं छोड़ा।