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Inspirational story: इंजीनियर दुल्हे और पीएचडी दुल्हन की शादी बनी चर्चा का विषय, मात्र 1 रुपये और नारियल में की शादी 

हरियाणा प्रदेश की राजस्थान सीमा से सटे सिरसा जिले के नाथूसरी-चोपटा ब्लॉक के पैंतालिसा क्षेत्र में दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करने की एक मुहिम चल रही है । इस कुप्रथा को समाप्त करने हेतु चल रही मुहिम को आगे बढ़ते हुए इस कड़ी में गांव हंजीरा के सेवानिवृत्त मैनेजर हनुमान सुथार के इंजीनियर बेटे विकास (ओएनजीसी में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) ने बड़ा काम किया है। 
 
Inspirational story
पैंतालिसा क्षेत्र में दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करने की मुहिम लगातार है जारी

Inspirational story: सिरसा जिले के हजीरा गांव निवासी हनुमान सुथार के बेटे की शादी आजकल चर्चा का विषय बनी हुई है। इंजीनियर दुल्हे ने अपनी शादी में शगुन के रूप में  मात्र 1 रुपया व नारियल लिया।
आजकल हरियाणा प्रदेश के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी दहेज रूपी दानव चारों तरफ अपने पांव पसारे हुए हैं। लेकिन इस झूठी शान शौकत की दुनिया में जब कोई पिता अपने इंजीनियर बेटे की शादी में लड़की वालों की तरफ से दहेज के रूप में एक रुपया और नारियल स्वीकार करता है तो वह कितना बड़ा हृदय रखता होगा। आज हम जिसके बारे में आपको बताने जा रहे हैं वह सिरसा जिले के छोटे से गांव हजीरा के निवासी हनुमान है जिन्होंने अपने इंजीनियर बेटे की शादी में लड़की वालों की तरफ से दहेज के रूप में मात्र एक रुपया और नारियल स्वीकार किया। इस शादी की अब सिरसा जिले के साथ-साथ संपूर्ण प्रदेश में चर्चा हो रही है। 

पैंतालिसा क्षेत्र में दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करने की मुहिम लगातार है जारी

सिरसा जिले के पेंतालिसा क्षेत्र में पिछले काफी दिनों से दहेज रूपी   कुप्रथा को खत्म करने हेतु एक प्रथा चली हुई है। इसी को आगे बढ़ते हुए हंजीरा वासी हनुमान ने यह बड़ा काम किया है। हरियाणा प्रदेश की राजस्थान सीमा से सटे सिरसा जिले के नाथूसरी-चोपटा ब्लॉक के पैंतालिसा क्षेत्र में दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करने की एक मुहिम चल रही है । इस कुप्रथा को समाप्त करने हेतु चल रही मुहिम को आगे बढ़ते हुए इस कड़ी में गांव हंजीरा के सेवानिवृत्त मैनेजर हनुमान सुथार के इंजीनियर बेटे विकास (ओएनजीसी में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) ने बड़ा काम किया है। विकास की शादी हाल ही में जोधपुर  राजस्थान निवासी नवनीत की पुत्री गरिमा  के साथ  हुई। गरिमा ने पीएचडी तक पढ़ाई की हुई है। दोनों शिक्षित परिवारों ने मिलकर दहेज रूपी कुप्रथा को खत्म करने का फैसला किया। इंजीनियर दुल्ले और पीएचडी दुल्हन की शादी में सभी परंपरागत रस्में अदा करने के बाद जब विदाई का समय आया तो दुल्हे के पिता  हनुमान ने शगुन के रूप में लड़की वालों की तरफ से मात्र 1 रुपया और नारियल यह कहकर स्वीकार किया कि हमारे लिए दुल्हन ही हमारा दहेज है। 

हरियाणा और राजस्थान प्रदेश में बिना दहेज के इस शादी की जमकर हो रही है तारीफ

हरियाणा प्रदेश के सिरसा जिले में हुई बिना दहेज की इस शादी की अब हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान प्रदेश में भी जमकर तारीफ हो रही है।
शादी के दिन समारोह में पहुंचे कई गणमान्य व्यक्तियों ने बिना दहेज की इस शादी की सराहना की। हंजीरा गांव निवासी हनुमान का बेटा विकास ओएनजीसी में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। हनुमान सुथार खुद ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से मैनेजर के पद पर सेवा दे चुके हैं। हाल ही में हनुमान सुथार मैनेजर के पद से सेवानिवृत हुए हैं। वहीं विकास की दुल्हन गरिमा माइक्रोबायोलॉजी में पीएचडी की  पढ़ाई पूरी कर रही है। गरिमा भी एक शिक्षक परिवार से संबंध रखती हैं।

हनुमान सुथार ने अपने बेटे की शादी में विदाई के समय किया दहेज लेने से इनकार

सिरसा जिले के हजीरा गांव निवासी पूर्व मैनेजर हनुमान सुथार ने अपने बेटे
विकास कुमार की शादी के दौरान लड़की वालों की तरफ से दी जाने वाली विदाई के समय दहेज लेने से मना करते हुए  शगुन का मात्र 1 रुपया व नारियल ही स्वीकार किया। हनुमान सुथार ने बताया कि वह और उनका परिवार हमेशा से ही समाज में फैली दहेज जैसी कुरीतियों के खिलाफ रहे हैं, यही कारण है कि वे दहेज जैसी कुप्रथा को तो बिल्कुल ही बंद करने के पक्ष में है। शादी में पहुंचे लोगों ने इस अवसर पर हनुमान सुथार की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि मात्र 1 रुपया व नारियल लेना एक सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि समाज के अन्य लोगों को भी हनुमान सुथार से और उनके बेटे विकास से सबक लेकर दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करने हेतु आगे आना चाहिए। वहीं गरिमा के पिता नवनीत भी बिना दहेज की इस शादी से काफी खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी गरिमा माइक्रोबायोलॉजी में पीएचडी कर रही है और मैं बहुत खुश हूं कि मेरी पुत्री को ऐसा परिवार मिला जो दहेज जैसी कुप्रथा के सख्त खिलाफ हैं। देश के बाकि लोगों को भी बेटी को दहेज देने की बजाय शिक्षित करने पर खर्च करना चाहिए। समाज में फैली ऐसी कुरीतियों को खत्म करने हेतु हम सबको योगदान देना चाहिए ।