MUGHAL HAREM HISTOY: क्या था मुगल हरम का वह काला सच, जिसे सुनकर आज भी महिलाओं की निकल जाती हैं किलकारियां

MUGHAL HAREM WOMEN HISTORY: मुगल हरम एक ऐसा विषय है इसके बारे में देश के अलावा विदेशों में भी जानकारी हासिल करने हेतु लोग उत्सुक रहते हैं। मुगल हरम का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। भारत देश पर जब मुगलों (MUGHAL HISTORY) ने शासन किया था उसे दौरान मुगल शासकों द्वारा मुगल हरम की शुरुआत की गई थी। हरम को मुगल शासको (MUHGAL SAMRAT) की अय्याशी का अड्डा भी बोला जाता है। मुगल हरम में सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति महिलाओं की थी। आज भी मुगल हरम के काले इतिहास को जानकर महिलाओं की किलकारियां निकल जाती हैं। इतिहासकारों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुगल हरम में एक बार महिला के प्रवेश करने के बाद उसकी अर्थी ही बाहर आती थी।
हरम में मुगल शासको को उपहार में मिली महिलाएं करती थी यह काम
मुगल हरम (MUGHAL HAREM) में मुगल सम्राटों की महिला रिश्तेदार के अलावा उपहार में मिली महिलाओं और दासियों को रखा जाता था। हरम में रहने वाली ज़्यादातर महिलाएं आमतौर पर शादी, जन्म, नियुक्ति या उपहार के रूप में हरम में प्रवेश करती थीं। हरम महिलाओं के लिए पर्दा प्रथा का कठोर प्रचलन था। जिसके चलते हरम की महिलाएं अपनी मर्जी से हरम से बाहर अपना पेर भी नहीं रख सकती थीं। लेकिन मुगल शासकों की पत्नियां और अन्य कुछ महिलाओं को तीर्थस्थलों की तीर्थयात्रा, शिकार और दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के लिए सम्राट के साथ जाने की इजाजत थीं। इसके अलावा हरम की महिलाएं हरम में लगे बगीचों में फ़व्वारे से पानी देने का काम भी करती थी।
मुगल हरम (MUGHAL HAREM WOMEN HISTORY) की महिलाओं को भोजन बावर्चीखाना रसोई से उपलब्ध कराया जाता था। हरम में अकबर खानह द्वारा पीने का पानी और शराब उपलब्ध कराई जाती थी। वहीं रिताब खानह की ड्यूटी रोटी की आपूर्ति के लिए लगाई गई थी। मुगल हरम की महिलाएं राजा की सभी इच्छाएं पूरी करने का काम करती थी। महिलाओं को सज-संवर कर राजा के सामने जाने हेतु कपड़े, आभूषण और फैंसी सामान व अन्य सामान शाही कारख़ाना द्वारा उपलब्ध किए जाते थे।
मुगल हराम की महिलाओं को नहीं थी बाहरी पुरुषों से मिलने की इजाजत
मुगल हरम (MUGHAL HAREM HISTORY UPDATE) के अंदर जिस महिला का एक बार प्रवेश हो जाता था वह बाहरी दुनिया से बिल्कुल अलग हो जाती थी। हरम के किसी भी महिला को बाहरी पुरुष से मिलने की इजाजत नहीं थी। हम की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी किन्नर महिलाओं को दी गई थी। अबू फजल की पुस्तक अकबरनामा (AKABARNAMA) से मिली जानकारी के अनुसार मुगल हरम की शुरुआत बाबर ने की थी। लेकिन इसे असली रूप अकबर के शासनकाल में दिया गया। बताया जाता है कि अकबर के शासनकाल में 5000 महिलाएं मुगल हरम में रहती थी।
हरम में बादशाह ज्यादातर समय अपनी बैगमों और कुछ खास महिलाओं के साथ बिताते थे। हरम में बेगमों का राज होता था। जो बेगम मुगल बादशाह के सबसे करीब हुआ करती थी, वहीं हरम को अपने हिसाब से चलाती थी। हरम में किसी बाहरी पुरुष का प्रवेश पूरी तरह से बेन था। कई इतिहासकार लिखते हैं कि मुगल हरम की महिलाएं अगर किसी बाहरी पुरुष से बात करते हुए पकड़ी जाती तो उन्हें कड़ी सजा दी जाती थी। यहीं कारण है कि आज भी महिलाएं मुगल हरम के काले इतिहास को पढ़कर किलकारियां मारने लग जाती हैं।