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कौन है हरियाणा की रूपा संधू ? जिसने अपने पति की मौत के बाद हार ना मानते हुए बेटी को बनाया इंटरनेशनल साइंटिस्ट

जींद जिले की रहने वाली रूपा संधू बताती है कि उनके पति का सपना था कि उनके बच्चे पूरी दुनिया में अपने देश का नाम रोशन करें। यही कारण था कि बेटी नीतिका संधु के कानों में हर पल उनके पिता के यह बोल गूंजते रहते थे। पिता के सपनों को पूरा करने हेतु नीतिका ने दिन-रात मेहनत कर अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी लगन और मेहनत की बदोलत उन्हें लगातार सफलता मिलती रही और आज इंटरनेशनल साइंटिस्ट के रूप में देश का नाम रोशन कर रही हैं।
 
Inspirational story of Rupa Sandhu
रूपा संधू ने भी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कभी हार ना मानते हुए सफलता की ऐसी कहानी लिखी जो आज भी दूसरों को प्रेरणा देती है।

Inspirational story: हरियाणा प्रदेश की सैकड़ो ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और जज्बे के बल पर देश में एक अलग पहचान बनाई है। इन्हीं महिलाओं में से एक जींद शहर में रहने वाली रूपा संधू ने भी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कभी हार ना मानते हुए सफलता की ऐसी कहानी लिखी जो आज भी दूसरों को प्रेरणा देती है। हम बात कर रहे हैं जींद शहर के अर्बन स्टेट में रहने वाले रूपा संधू कि जिनके पति स्वर्गीय विजय सिंह संधू की वर्ष 1991 में हार्टअटैक से मृत्यु हो गई थी।

कम उम्र में पति की मौत ने रूपा संधू को एक बार तो पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया था। क्योंकि जब उनके पति विजय सिंह संधू की मृत्यु हुई थी तब उनका बेटा वरुण संधू और बेटी नीतिका संधू बिल्कुल छोटे-छोटे थे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानते हुए अपने नन्हें बेटा-बेटी की परवरिश में पूरा ध्यान लगा दिया। उस बुरे दौर के दौरान उन्होंने अपने घर को संभालने के साथ-साथ अपनी बेटी नितिका संधू को इंजीनियर बनाने की ठान ली थी। जब उन्होंने यह फैसला लिया उस समय उनकी बेटी की उम्र करीब पांच वर्ष की थी। लेकिन पति की मौत के बाद मां ने अपने बच्चों का भविष्य बनाने का संकल्प ले लिया था और अब रूपा संधू ने पीछे मुड़कर अपने अतीत को देखना छोड़ दिया था।

माता-पिता के सपनों को पूरा करने हेतु बेटी ने की दिन-रात मेहनत 

जींद जिले की रहने वाली रूपा संधू बताती है कि उनके पति का सपना था कि उनके बच्चे पूरी दुनिया में अपने देश का नाम रोशन करें। यही कारण था कि बेटी नीतिका संधु के कानों में हर पल उनके पिता के यह बोल गूंजते रहते थे। पिता के सपनों को पूरा करने हेतु नीतिका ने दिन-रात मेहनत कर अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी लगन और मेहनत की बदोलत उन्हें लगातार सफलता मिलती रही और आज इंटरनेशनल साइंटिस्ट के रूप में देश का नाम रोशन कर रही हैं। रूपा संधू बताती है कि अब उन्हें खुशी है कि उनके बच्चे अपनी मेहनत के बल पर पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

मां के आशीर्वाद से नितिका संधू कंबोडिया, फिलीपींस, लोओस, नेपाल और बांग्लादेश जैसे कई देशों साइंटिस्ट के तौर पर कर चुकी हैं काम

नितिका संधू का नाम आज इंटरनेशनल साइंटिस्ट के तौर पर पूरी दुनिया में जाना जाता है। गूगल में भी आप नीतिका संधू इंटरनेशनल साइंटिस्ट का नाम सर्च करेंगे तो आपको सबसे इनका नाम सबसे ऊपर दिखाई देगा। अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने हेतु नीतिका संधू ने CCSAU हिसार में एमएससी व पीएचडी की पढ़ाई कर मोनसेंटो बीचेल बोरलंग इंटरनेशनल स्कॉलरशिप प्राप्त की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने फिलिपिंस में बतौर डाक्टोरल फैलो जॉब की।

नीतिका संधू ने अपने करियर में भारत के अलावा फिलिपींस, नेपाल, बंगलादेश, लोओस, कंबोडिया में भी काम किया है। उनकी अद्भुत कार्यशैली को देखते हुए उन्हें अमेरिका में भी सम्मानित किया गया। वर्तमान में नीतिका संधू लुधियाना में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) में प्रोफेसर के तौर देश के भविष्य को संवारने का काम कर रही है।  इंटरनेशनल साइंटिस्ट बन चुकी नितिका बताती हैं कि उन्हें आज अंतरराष्ट्रीय साइंटिस्ट की जो उपाधि मिली हुई है, वह उनकी मां रूपा संधू के आशीर्वाद के चलते ही संभव हुआ है। नीतिका संधू बातचीत के दौरान भावुक होते हुए कहती हैं कि देश की हर बेटी को रूपा संधू के रूप में ही मां मिले। जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी कभी हार ना मानते हुए मुझे इस काबिल बनाया कि पूरी दुनिया में लोग आज मेरे नाम को सर्च कर रहे हैं।