Success Story: अभिमन्यु रामपाल कभी नशे के लिए नंगे ही दौड़ पड़ते थे, आज नशा छोड़ बने डॉक्टर, 500 युवाओं का छुड़ा चुके हैं नशा

Success Story: आज हम जिस शख्सियत की कहानी आपको बताने जा रहे हैं, वह हम सबको प्रेरणा देती है। कहानी अमृतसर के डॉक्टर अभिमन्यु रामपाल की है। डॉ अभिमन्यु रामपाल 12वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद ग्रेजुएशन करने हिमाचल पहुंचे तो उन्होंने पहली बार अपने दोस्तों के साथ शराब पी। लेकिन धीरे-धीरे में मित्र मंडली के प्रभाव में आकर उन्होंने चरण और गांजा भी शुरू कर दिया। यह चरस और गंज उन पर इतना हावी हो गया कि वह नशे के लिए कभी-कभी नंगे भी दौड़ पढ़ते थे। नशे की लत ने उनकी तमाम इज्जत रुतबा सब बर्बाद कर दिया था। इतना ही नहीं उनकी दादी ने इस सदमे के कारण अपनी जान भी दे दी थी। सब कुछ बर्बाद होने के बाद उन्होंने नशा छोड़ने की ठानी और आज डॉक्टर बनकर 500 युवाओं का नशा छुड़वा चुके हैं।
नशे की लत के कारण घर वालों ने कर दिया था बेदखल
डॉ अभिमन्यु रामपाल बताते हैं कि उन पर नशे की लत इतनी हावी हो गई थी कि घर वालों ने उन्हें अपनी तमाम चल-अचल संपत्ति से बेदखल कर दिया था। वह नशे की लत के कारण अपनी इज्जत अपना भविष्य पूरी तरह से बर्बाद कर चुके थे। उन्होंने बताया कि कभी अमृतसर की सड़कों पर नशे की हालत में नंगा भी दौड़ पड़ता था। अभिमन्यु के माता-पिता डॉक्टर थे। उन्होंने अपने बेटे की नशे की आदत को देखते हुए अपनी तमाम चल अचल संपत्ति से उन्हें बेदखल कर दिया। अभिमन्यु की दादी अपने पोते की ऐसी हालत देखकर सदमे में चली गई और इस दुनिया से चल बसी। उन्होंने अपनी नशे की लत की वजह से पूरे परिवार की इज्जत और जिंदगी दोनों बर्बाद कर दिए थे।
दादी के स्वर्गवास के बाद डॉक्टर अभिमन्यू रामपाल नशे का त्याग करने का लिया प्रण
डॉ अभिमन्यु बताते हैं कि उन्होंने दादी के स्वर्गवास होने के बाद नशे की लत से पीछा छुड़वाने का प्रण लिया। यह फैसला उनके लिए बहुत कठिन था क्योंकि नशे की लत ने उसका शरीर इस कदर तक कमजोर कर दिया था कि उसे बगैर नशे की पूरी-पूरी रात नींद नहीं आती थी। लेकिन डॉक्टर अभिमन्यु अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से नशा छोड़कर वापस परिवार में लौटे और बीडीएस एवं एमडीएस की पढ़ाई पूरी की और अब पिछले 9 सालों से पंचकूला में डॉक्टर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नशे की लत लग तो आसानी से जाती है लेकिन इससे पीछा छुड़वाना बहुत मुश्किल होता है। नशे की लत का सबसे ज्यादा शिकार देश के युवा हो रहे हैं।
500 युवाओं का छुड़वा चुके हैं डॉक्टर अभिमन्यू रामपाल नशा
डॉ अभिमन्यु रामपाल ने नशे के मायाजाल से बाहर निकलकर डॉक्टर बनकर अब तक 500 से अधिक युवाओं का नशा छुड़वा दिया है। वे पिछले 9 सालों से पंचकूला में डी-एडिक्शन सेंटर चला रहे हैं। पंचकूला स्थित इस दी एडिक्शन सेंटर में आने वाले लगभग सात प्रदेशों के 500 से अधिक नशे की लत में पड़े युवाओं को नशा छुड़वाकर डॉक्टर अभिमन्यु ने सही रास्ता दिखाने का काम किया है। जिन युवाओं को डॉक्टर अभिमन्यु ने नशे की लत से बाहर निकाला है वह सब अपनी नशे की लत के कारण जिंदगी से हार चुके थे। लेकिन अब सभी बुरी आदतों को त्याग कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ चुके हैं।
डॉ अभिमन्यु रामपाल के परिवार में है 30 से अधिक डॉक्टर
अमृतसर में डॉक्टर अभिमन्यू रामपाल का परिवार एक इज्जतदार परिवार था। उनके परिवार और रिश्तेदारी में लगभग 30 से अधिक डॉक्टर्स है। इनके पिता डॉक्टर और मां प्रोफेसर थी। लेकिन डॉक्टर अभिमन्यू की नशे की आदत ने अमृतसर में उनके पूरे परिवार की इज्जत बर्बाद कर दी थी। डॉ अभिमन्यु बताते हैं कि उन पर परिवार की ओर से बचपन से डॉक्टर बनने का खूब दबाव डाला गया मगर वह एक शेफ बनना चाहते थे। जिसके लिए वह स्वेटर डिजिटल और जाकर होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहते थे। लेकिन उनके पिता को उनका यह काम पसंद नहीं था इसलिए बचपन में उनके पिता ने यह कहकर कि मेरा बेटा एक बावर्ची बनेगा खूब पिटाई की। जिस काम से उनमें अपने परिवार के प्रति एक नफरत पैदा हो गई और वह नशे की लत में पड़ गए। नशे की लत के कारण ने अपना सब कुछ बर्बाद कर दिया था। लेकिन अब समाज की मुख्य धारा से जुड़कर एक डॉक्टर बनकर देश के लगभग 500 से अधिक युवाओं का नशा छुड़वा चुके हैं। उन्होंने बताया कि नशा सिर्फ नाश कर सकता है इसके सिवा और कुछ नहीं कर सकता। देश के युवा पहले शराब के नशा शुरू करते हैं और धीरे-धीरे चरस, गांजे में पड़कर पूरी तरह से इसके मायाजाल में फस जाते हैं। ये युवा नशे की लत के कारण अपनी जिंदगी के साथ-साथ अपने परिवार की जिंदगी भी बर्बाद कर देते हैं।