फसलों में रसायनिक कीटनाशकों का विशेषज्ञ की सलाह अनुसार विशेष सावधानी से करें प्रयोग : डॉ. कर्म चंद

हरियाणा कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान, हमेटी जींद में किसानों के लिए 5 दिन से चल रहा कीटनाशकों का फसलों में सुरक्षित प्रयोग विषय पर प्रशिक्षण शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस अवसर पर हमेटी के निदेशक डॉ. कर्मचंद ने कहा कि किसान फसलों को कीटों व बीमारियों से बचाने के लिए जिन रसायनिक कीटनाशियों का प्रयोग करते हैं वे जहरीले होते हैं। इन रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग में थोड़ी सी भी लापरवाही बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकती है। इसलिए इनके प्रयोग करने में विशेषज्ञ द्वारा बताई गई सावधानियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
डॉ. कर्मचंद ने बताया कि कीटनाशियों का सही समय पर सही मात्रा में व सही तरीके से प्रयोग करना अति आवश्यक है। गलत तरीके से प्रयोग करने में छिड़काव करने वाले किसान को किसी भी प्रकार का नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों की सलाह अनुसार प्रयोग न करने पर फसलों में कीट नियंत्रण में भी सही परिणाम नहीं मिलते।
इसलिए किसानों को फसलों में रसायनिक कीटनाशकों का विशेषज्ञों की सिफारिश अनुसार ही विशेष सावधानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। हमेटी के उपनिदेशक डॉ. रणजीत सिंह सग्गू ने बताया कि प्रशिक्षण में किसानों को कीट व बीमारियों में अन्तर व उनकी पहचान करवाई गई।
कीट व बीमारी नियंत्रण के लिए कीटनाशी व फफूंदनाशी के प्रयोग में बरती जाने वाली सावधानियां जैसे लाइसेंस होल्डर विक्रेता से ही बिल पर कीटनाशी की खरीद, उचित छिड़काव यंत्र का प्रयोग एवं रखरखाव, सिफारिश अनुसार कीटनाशी की मात्रा का पानी में मिश्रण बनाना, स्प्रे किट जिसमें दस्ताने, एप्रेन, चश्मा आदि पहन कर ही छिड़काव करना आदि की जानकारी दी गई। हमेटी के प्रशिक्षक डॉ. सुभाष चंद्र ने किसान के शरीर में कीटनाशी का प्रभाव होने की स्थिति में दिखाई देने वाले लक्षणों बारे बताया।
प्रभावित होने की स्थिति में दी जाने वाली प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी भी किसानों को दी गई। डॉ. सुभाष ने किसानों को बगैर रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के प्राकृतिक तरीके से खेती करने की सलाह दी व इसके लिए जैविक कीटनाशी निमास्त्र , ब्रह्मास्त्र, दशप्रणी आदि बनाने सिखाए। प्रशिक्षण के संयोजक डॉ. हर भगवान कंबोज ने किसानों को कीट नियंत्रण में मांसाहारी कीटों के योगदान की जानकारी दी। उन्होंने खेतों में मांसाहारी या मित्र कीटों तथा हानिकारक कीटों की पहचान भी करवाई। प्रशिक्षण में अनुसूचित जातियों से संबंध रखने वाले विभिन्न जिलों के किसानों ने हिस्सा लिया जिन्हें प्रशिक्षण उपरांत प्रमाण पत्र, स्प्रे पंप व सुरक्षा किट भी दी गई।