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Breaking News: हरियाणा में मानसून18 जिलों में यलो अलर्ट,पंचकूला में सुबह-सुबह बारिश, रात से प्री मानसून की एंट्री, पढ़िए 3 दिन कहां-कहां भारी बारिश होगी

मानसून 2025 को लेकर आई बड़ी भविष्यवाणी   भारत में मानसून 2025 की एंट्री कब और कैसे होगी
 

हरियाणा सहित उत्तर भारत में मौसम तेजी से बदल रहा है. एक ओर जहां शाम को हल्की बारिश राहत देती है. वहीं अगली सुबह तेज धूप और हीटवेव लोगों को परेशान करती है. इस अनिश्चित मौसम से लोग त्रस्त हो चुके हैं और अब सिर्फ मानसून की राह देख रहे हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि भारत में मानसून 2025 की एंट्री कब और कैसे होगी.

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मानसून 2025 को लेकर महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है. विभाग के अनुसार इस साल मानसून समय से पहले भारत में दस्तक दे सकता है. इससे पहले मानसून आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल से शुरू होता था. लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं.

27 मई को केरल पहुंचेगा मानसून

मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्रमोहन के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल में प्रवेश कर सकता है, जो सामान्य तिथि से चार दिन पहले है. यह 2009 के बाद अब तक का सबसे जल्दी मानसून आगमन माना जा रहा है. बता दें कि साल 2024 में हरियाणा में 30 जून को मानसून ने दस्तक दी थी. इस लिहाज से देखा जाए तो 16 वर्षों में पहली बार ऐसा होगा जब मानसून 1 जून से पहले 27 मई को ही भारत पहुंचने की संभावना है.

डॉ. चंद्रमोहन का कहना है कि केरल में मानसून का जल्दी आना जरूरी नहीं कि पूरे भारत में बारिश शुरू हो जाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि मानसून का प्रसार हर राज्य में अलग-अलग समय और प्रभाव के साथ होता है. इसलिए अन्य राज्यों में बारिश की शुरुआत में थोड़ी देरी हो सकती है.

भारत में कब छाएगा मानसून?

IMD के अनुसार मानसून 8 जुलाई तक पूरे भारत में फैल सकता है. यानी कि पूर्वी, पश्चिमी और उत्तर भारत में भी तब तक बारिश शुरू हो जाएगी. इसके बाद 17 सितंबर से मानसून की वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी और 15 अक्टूबर तक यह देश से पूरी तरह लौट जाएगा.

अच्छी बारिश की उम्मीद, किसानों को मिल सकती है राहत

इस साल की बारिश को लेकर IMD ने सकारात्मक संकेत दिए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल सामान्य से बेहतर वर्षा हो सकती है, जिससे कृषि कार्यों में तेजी आएगी. अच्छी बारिश से फसल की पैदावार बढ़ने, जलस्तर सुधरने और किसानों को सिंचाई के लिए कम खर्च करना पड़ेगा. यह मौसम किसानों के लिए कई मायनों में राहतभरा हो सकता है.

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