हरियाणा के सिरसा में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने आज पंचायती राज विभाग के जूनियर इंजीनियर को रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया, पढें पुरा मामला

Sirsa News: हरियाणा प्रदेश के सिरसा जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है। जानकारी के अनुसार सिरसा ब्लॉक पंचायती राज के जेई को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया है। आपको बता दें कि नायब सरकार ने राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी फैसला लेने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में सरकार ने भ्रष्ट पटवारी की लिस्ट भी जारी की थी। इस लिस्ट के तहत भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सरकार ने कठोर कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सिरसा से सामने आया है। सिरसा एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने पंचायती राज के जेई लवीश को सरपंच के पास मैसेज भेजकर 1.25 लाख रुपए की रिश्वत की मांगने के मामले में गिरफ्तार किया है।
पंचायती राज के जेई लवीश ने ढ़ाणी खुआली के सरपंच से मैसेज के जरिए की थी 1.25 लाख रुपए रिश्वत की मांग
सिरसा जिले से रिश्वतखोरी का चोपड़ा मामला सामने आया है उसमें पंचायती राज के जेई लवीश द्वारा ढ़ाणी खुआली के सरपंच से मैसेज के जरिए 1.25 लाख रुपए रिश्वत मांगने की बात सामने आई है। जेई द्वारा मैसेज भेज कर रिश्वत की मांग करने के बाद ढ़ाणी खुआली के सरपंच ने इसकी जानकारी एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम को दी। एसीबी की टीम ने सरपंच की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए रिश्वत मांगने के आरोप में पंचायती राज के जेई लवीश को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
मंत्री ने 5 अधिकारियों को सस्पेंड किया था
इससे पहले 2 जनवरी को विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्णलाल पंवार ने अपनी इसराना विधानसभा में सार्वजनिक स्थानों पर लोहे के बेंच, हैंडपंप और वाटर कूलर में किए घोटाले में BDPO समेत 5 अधिकारियों को सस्पेंड किए थे। इनमें लेखाकार, सहायक और 2 JE (कनिष्ठ अभियंता) शामिल थे।
ब्लॉक समिति इसराना के चेयरमैन हरपाल मलिक ने मंत्री को शिकायत देकर कहा था कि विभाग के BDPO सहित उक्त कर्मचारियों ने विकास कार्यों में अनियमितताएं बरती हैं। उनके संज्ञान में यह मामला आने पर इसकी जांच कराई गई। जांच में पता चला कि सार्वजनिक स्थानों पर लगने वाले लाखों के लोहे के बेंच, आमजन को पीने का पानी मुहैया करने के लिए लगने वाले हैंडपंप और वाटर कूलर लगाने में अनियमितता पाई गई हैं। यह करीब 3 से 4 करोड़ रुपए का घोटाला हो सकता है।